कानपूर में 2 और 3 तारीख की रात में 8 पुलिस वालो की हत्या के बाद विकास दुबे फरार था। पुलिस कार्यवाही में विकास दुबे और उसके मामा का घर डहा दिया गया था और विकास दुबे की जोरो शोरो से तलाश चल रही थी काफी जगह पर पुलिस ने दबिश दी पर विकास दुबे नदारद था इस बीच किसी ने उसके फरीदाबाद में होने की खबर की जो की cctv में भी आया पर पुलिस से पहुँचने से पहले ही वो वहां से निकल गया।
बहरहाल विकास दुबे को 9 जुलाई को सुबह 7 बजे उज्जैन मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया। विकास दुबे की माँ के अनुसार वो हर साल सावन के महीने में महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जाता था। उज्जैन के महाकाल के मंदिर में ने vip पास ले कर जब वह दर्शन से लौट रहा था तो वहा के गार्ड ने शक के आधार पर उसे पकड़ लिया और पुलिस को दे दिया।
गिरफ्तारी में कई पेंच
पुलिस लिस्ट का कुख्यात अपराधी जो पिछले 30 सालो से यूपी में आतंक मचाये हुए था जिसने 8 पुलिस वालों की ताबड़तोड़ गोली मार कर हत्या कर दी उसका इस तरह पकडे जाना हजम नहीं हो रहा। ऐसा लगता है की उसने एनकाउंटर से बचने के लिए अपनी गिरफ्तारी का मन बना लिया था। जब गार्ड ने उसे पकड़ा तब उसके पास कोई हथियार नहीं था साथ ही cctv फुटेज में भी वो आराम से चलता हुआ दिखाई दिया। उसके पास से एक बेग भी मिला है जिसमे कपडे और मोबाइल था।
क्या है विकास दुबे का रुतबा
विकास दुबे के इस आपराधिक इतिहास में उसे कई बड़े लोगो का समर्थन भी मिला है साथ ही उसकी पुलिस में भी अच्छी सांठ गाँठ थी। उसे कई बार पुलिस ने पकड़ा पर अपना रुसुक दिखा कर छूट जाता यहाँ तक की विकास दुबे ने जब राज्य मंत्री की थाने में हत्या की तब 30 पुलिस वाले गवाही से मुकर गए इससे आप अंदाज़ा लगा सकते है कुछ पुलिस वाले उसके डर से जान बुझ कर उसे पकड़ने नहीं गए और उसे करीबी पुलिस वालों से पहले ही खबर मिल गयी थी की पुलिस उसे पकड़ने आ रही है।
अब तक पुलिस कार्यवाही
8 पुलिस वालो के क़त्ल के बाद विकास दुबे और उसके साथी फरार हो गए और पुलिस ने धर पकड़ शुरू की। विकास दुबे के पांच साथी अतुल दुबे , अमर दुबे, प्रभात मिश्रा और बउआ दुबे मुठभेड़ में मारे गए। 2 लोग दयाशंकर अग्निहोत्री और श्यामू वाजपेयी मुठभेड़ में घायल होकर पकडे गए। 9 लोग बिट्टू , सुरेश ,रेखा , श्रमा दुबे , सुरेश वर्मा , ख़ुशी दुबे , संजीव दुबे और खुद विकास दुबे बिना मुठभेड़ के पकडे गए।
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
जहाँ विकास दुबे के पकडे जाने पर मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस की पीठ थपथपाई है वही पुलिस की कार्यशैली पर भी बड़े सवालिया निशान खड़े हो गए है मसलन 8 पुलिस वालो की हत्या के बाद भी वो कई दिनों तक फरार रहा। इस बीच वो कानपूर से फरीदबाद और राज्यस्थान के रास्ते उज्जैन पहुँच गया और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। उज्जैन में भी vip पास ले कर दर्शन किये और पकड़े जाने पर भी वो चिल्ला रहा था “में विकास दुबे हूँ कानपूर वाला ” शायद इस डर से की कहीं उसका एनकाउंटर न कर दे। इससे पता लगता है की विकास दुबे को पुलिस की कारशैली की भी पूरी जानकारी थी। जहाँ पुलिस की पूरी टुकड़ी उसे नहीं पकड़ पायी वही एक गार्ड के हाथों शांति पूर्ण तरीके से गिरफ्तारी हज़म नहीं हो रही।
फ़िलहाल पुलिस की पूछताछ में सामने आया है की विकास दुबे 8 पुलिस वालो को मारने के बाद उन्हें जला कर साबुत मिटा देना चाहता था। अभी उसे मध्य प्रदेश पुलिस से उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जायेगा और आगे की कार्यवाही उत्तर प्रदेश करेगी और तभी और खुलासे हो पाएंगे।