साल 2009 में फ़िल्म आयी थी 2012 तब लोगो को लगा था की 2012 में दुनियाँ ख़त्म हो जाएगी खेर 2012 आकर चला भी गया। पर अब जो हालात है यह अनुमान लगाया जा रहा है की विशेषज्ञों ने जो माया सभ्यता और अन्य इतिहासिक कैलेंडर देखे थे उनमे चूंक सी हो गयी है और 2012 का वो साल 2020 (वर्तमान) बन कर आया है।
इस साल शायद ही कोई ऐसी आपदा है जो मानव सभ्यता ने न दिखी हो भूकंप , महामारी, चक्रवात, टिड्डी हमला और कोरोना जैसी भयंकर महामारी ने पुरे विश्व की जड़ों को हिला कर रख दिया है। जहाँ 21 वीं सदी की मानव सभ्यता खतरें में है वही पुरानी सभ्यताएं हमारा दरवाज़ा खटखटा रही है।
बता दे की टस्कनी के लुक्का प्रान्त में फबबरीचे दी करेगगीने में एक 12 वीं सदी का इटालियन गांव (जिसे घोस्ट टाउन भी कहते है)। 1946 में बाँध और वेगळी झील बनाने के कारण जलमग्न हो गया था उसे अब सूरज की रौशनी में देखा जा सकेगा। हालांकि, ये गांव अब तक कई बार सूरज की रौशनी देख चुका है मगर ये आख़िरी बार 1994 में दिखा था जब पूरे बांध को ख़ाली किया गया था.
यह गांव 34 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी के नीचे डूबा हुआ है पर अभी भी अच्छी हालत में है। इस गांव में पत्थर के घर, एक पुल, एक कब्रिस्तान और सेन टेओडोरो चर्च आदि अब तक खड़े है।
हालांकि, 27 सालों बाद फिर से इस झील को खाली किया जा सकता है जिससे ये गांव बाहर आ जाएगा।
स्थानीय नगरपालिका के पूर्व मेयर ल्लिओ डोमेनिको जिऑर्जी की बेटी लोरेंज़ा जिऑर्जी ने झील के बारे में बात की और कहा:
“पिछली बार जब इसे 1994 में खाली किया गया था तब मेरे पिता मेयर थे और उनके प्रयासों की बदौलत ही वगली क़स्बा बसाया जा सका और लगभग 10 लाख लोगों का स्वागत किया जा सका। ”
यह स्थान पर्यटन के लिए बहुत अच्छा है पर विश्व की ऐसी अवस्था में घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है। कहते है उम्मीद पर दुनिया कायम है हम भी यही आशा करते है की इस महामारी से जल्द राहत मिले और लोग सामान्य जीवन जी सके।